गुरु वन्दना
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम,
मैं शरण आपकी आपकी आया हूँ ।
मैं तर जाऊँ भव सागर से,
वह युक्ति जानने आया हूँ ।
बिन गुरु ज्ञान नहीं जग में,
यह वेद पुराण सभी कहते ।
गुरु की महिमा के सन्मुख,
ईश्वर भी स्वयं झुके रहते ।
ज्ञान मिले किस विधि से प्रभु,
वह युक्ति जानने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम,
मैं शरण आपकी आया हूँ ।
गुरु की चरण धूल माथे पर,
जो भक्त सजाते हैं ।
दुनियाँ के सारे कष्टों से,
गुरु उनको स्वयं बचाते हैं ।
चरणों में हमको भी ले लो,
प्रभु आज्ञा लेने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम,
मैं शरण आपकी आया हूँ ।
गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु,
गुरु ही देव महेश्वर है ।
मुक्ति मार्ग भी गुरु ही हैं,
ज्ञान मार्ग भी गुरुवर हैं ।
शत-शत नमन मेरा देवेश्वर,
मैं चरण पूजने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम,
मैं शरण आपकी आया हूँ ।
मैं तर जाऊं भव सागर से,
वह युक्ति जानने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम,
मैं शरण आपकी आया हूँ ।।
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