Saturday, September 5, 2015

गुरु वन्दना

    गुरु वन्दना       


स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम, 
मैं शरण आपकी आपकी आया हूँ ।
मैं तर जाऊँ भव सागर से, 
वह युक्ति जानने आया हूँ ।

बिन गुरु ज्ञान  नहीं जग में, 
यह वेद पुराण सभी कहते ।
गुरु की महिमा के सन्मुख, 
ईश्वर भी स्वयं झुके रहते ।
ज्ञान मिले किस विधि से प्रभु, 
वह युक्ति जानने आया हूँ । 
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम, 
मैं शरण आपकी आया हूँ ।

गुरु की चरण धूल माथे पर, 
जो भक्त सजाते हैं ।
दुनियाँ के सारे कष्टों से, 
गुरु उनको स्वयं बचाते हैं ।
चरणों में हमको भी ले लो, 
प्रभु आज्ञा लेने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम, 
मैं शरण आपकी आया हूँ ।

गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु, 
गुरु ही देव महेश्वर है ।
मुक्ति मार्ग भी गुरु ही हैं, 
ज्ञान मार्ग भी गुरुवर हैं ।
शत-शत नमन मेरा देवेश्वर, 
मैं चरण पूजने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम, 
मैं शरण आपकी आया हूँ ।

मैं तर जाऊं भव सागर से, 
वह युक्ति जानने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम, 
मैं शरण आपकी आया हूँ ।।


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