रंग बिरंगे इन्द्रधनुष सी
आभा वाली,
फूल-फूल पर इठलाती वो
मतवाली |
नीली पीली हरी सुनहरी और
उजली,
देखो कैसी प्यारी-प्यारी सी
है तितली ।
घर आँगन में आती है तितली
प्यारी-प्यारी,
हम सबके मन को भाती है तीली
न्यारी-न्यारी ।
उसे पकड़ने को मन मेरा मचलता
है,
कभी इधर तो कभी उधर उछलता
है ।
तभी अचानक हाथों में आ जाती
है पगली,
देखो कैसी प्यारी-प्यारी सी
है तितली ।
कुदरत की अनुपम रचना है,
पर आज हो गयी सपना है ।
विष युक्त हो गया धरा गगन,
दूभर साँसों का चलना है ।
रंगीन चित्र उसका बचा किताबों
में नकली,
देखो कैसी प्यारी-प्यारी सी
है तितली ।।
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