Tuesday, January 14, 2014

आग

                                                  आग
ये कैसी आग ? कैसी आग ? कैसी आग है ?
सुलगती है अंदर जैसे राज है |
ये कैसी आग ? कैसी आग ? कैसी आग है ?
घड़ी दर घड़ी ये बढ़ती ही जाती ,
कभी घर कभी बस्तियां ये ज़लाती |
जिधर देखता हूँ उधर आग है ,
ये कैसी आग ? कैसी आग ? कैसी आग है ?
नामो निशान खो गया है सहर का ,
दिखता असर अब हवा में ज़हर का |
सब कुछ लुटा बस बची साँझ है ,
ये कैसी आग ? कैसी आग ? कैसी आग है ?
परिंदे भी सहमे दरख्तों में बैठे ,
गुलशन में गुल भी लगते थे झूठे |
अब तो लगता बेसुरा कोयल का राग है ,
ये कैसी आग ? कैसी आग ? कैसी आग है ?
ढक गयी कली घटा से चांदनी ,
है तड़पती राग से होके जुदा अब रागिनी |
 दिल से प्यार मिट गया बच रही बस खाक है ,
ये कैसी आग ? कैसी आग ? कैसी आग है ?
क़यामत  का वो दिन क्या है यही ?
दिखता नहीं कुछ गलत या सही |
खुदाया..... तेरी क्या यही साख है ?
ये कैसी आग ? कैसी आग ? कैसी आग है ?

                                                   राघवेन्द्र कुमार ''राघव''(१६/४/१२) 

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