Tuesday, January 14, 2014

यार-ए-दीदार

      गीत: यार--दीदार
सामना होने पर उनका नज़रें खुद को छिपा रहीं |
धड़कने दिल की मगर प्यार में गुनगुना रहीं |
भीड़ में भी खोजती रहती निगाहें है जिसे |
सामने पाकर उसे शर्म से झुक जा रहीं |
सामना होने पर उनका नज़रें खुद को छिपा रहीं |
ख़्वाब में मिलकर जिसे अहसास हो ज़न्नत मिली |
जिसके ख़्वाबों में हो डूबी वक़्त की हर एक घड़ी |
आँख जब उनसे मिली अपनी सुध-बुध न रही |
सामना होने पर उनका नज़रें खुद को छिपा रहीं ||
दुनियां की हर दौलत ये दिल क़ुर्बान जिस पर करता है |
नाम पर जिसके दीवाना दिल  ये दिल धड़कता है |
आज उनकी आहटों से मान की कली मुस्करा रही |
सामना होने पर उनका नज़रें खुद को छिपा रहीं ||
दिल के दर्पण में हसीं तस्वीर जिसकी रहती है |
ये हवाएं ये फिजाएं सलाम जिसको करती हैं |
दिल की हर धड़कन जिसे अपना ख़ुदा बतला रही |
सामना होने पर उनका नज़रें खुद को छिपा रहीं ||
चांदनी से भी सलोनी है प्रीति मेरे मीत की |
सबसे बड़ी हसरत थी मेरी प्यार में इस जीत की |
यार को बाँहों में पाकर आँख है भर आ रही |
सामना होने पर उनका नज़रें खुद को छिपा रहीं |






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