नशा
सड़क के किनारे
पड़ी
थी एक लाश
उसके पास कुछ
लोग
बैठे थे बदहवाश ।
उनमे चार छोटे
बच्चे
और उनकी माँ थी,
बूढ़े माँ – बाप थे
कुँवारी बहन थी ।
सभी का रो – रो
कर बुरा हाल था,
खाल से लिपटे
ढांचे
बता रहे थे,
वो.....
परिवार
कितना बेहाल था ?
मैंने
एक आदमी से पूछा,
भाई
ये कैसे मर
गया,
क्या किसी वाहन
से
दुर्घटना हो गयी ?
लेकिन इसके शरीर
पर
चोट तो है नहीं,
आखिर इसकी जान
कैसे चली गयी ?
उसने कहा
ये पीता
था शराब,
और स्मैक का भी
आदी था ।
घरवालों को
मारना पीटना
इसकी दिनचर्या
थी,
गाँजे की चिलम का
पक्का साथी था ।
ज़मीन जायदाद सब
कौडियों के भाव
बेच डाली,
सारे परिवार को
बर्बाद कर गया ।
बेचारे घर वाले
कल भी रोते थे,
अब भी रोयेंगे
वो नशेड़ी
उसे मरना था
मर
गया ॥
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