Tuesday, September 29, 2015

अंग्रेज़ी संतान

अंग्रेज़ी संतान

जब तक किसी बड़े की 
बेइज़्ज़ती न कर डाले,
कोई आज इस समाज में
होशियार नहीं बनता ?
जब तक बड़ों पर
हाथ न उठा लें,
आजकल तब तक कोई
इज़्ज़तदार नहीं बनता ।

कहाँ जा रहा है
आज अपना समाज ?
इसके नैतिक मूल्य
क्या वास्तव में खो गए हैं ?
अन्यथा आज यह
युवा शक्ति के आगे
नतमस्तक, बेबस, दमित होकर
तुच्छ और संकीर्ण हो गए हैं ।

एक ज़ाहिल युवा
बुज़ुर्ग से उलझता है ।
बात करने की तहज़ीब
उनसे सीखने को कहता है ।

अध्यापकों का मज़ाक उड़ाना
विद्यालयों में पिकनिक मनाना ।
वर्तमान के युवा की
सशक्त पहचान है ।
ये सब के सब 
स्वघोषित बुद्धिमान हैं

ख़ुद को स्मार्ट भी समझते हैं ।
जब भी कोई इन्हें समझाता है
ये बेवज़ह भड़कते हैं ।

माँ और बाप इन सयानों को
मूर्ख नज़र आते हैं ।
जिनके टुकड़ों पर पलते हैं
उन्हीं पर रौब जमाते हैं ।

अपनी कमियाँ छिपाने को
किसी पर भी आरोप लगाते हैं ।
बड़े भाई बहन कुछ कह दें
तो ये शेर हाथ उठाते हैं ।

बेहूदा हरक़ते और
निर्लज्ज पहनावा
इन कमसिनों की पहचान है ।
मर्यादाओं को तार-तार करतीं,
ये आधुनिक भारत की

अंग्रेज़ी संतान हैं ।।

No comments:

Post a Comment