बसन्त
पेड़ पौधे धरा के
मचलने लगे
देख यौवन धरा का
चहकने लगे ।
प्रेम रंग में
रंगा सब है आता नज़र
कलियों के झुण्ड
फूल बन फूलने लगे ।
श्रृंगार नया हार
नया नये हैं वसन
कजरा गजरा सुर्ख
होंठ खिलने लगे ।
चूनर है पीली लाल
चोली तन पर पड़ी
फूल इत्र वायु में
उड़ेलने लगे ।
रंगीन हो गया
जहां मौसम को देखकर
पछुआ और पुरवा
में द्वंद होने लगे ।
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