Tuesday, January 14, 2014

गुरु वन्दना

                गुरु वन्दना
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम मैं शरण आपकी आपकी आया हूँ ।
मैं तर जाऊँ भव सागर से वह युक्ति जानने आया हूँ ।
बिन गुरु ज्ञान  नहीं जग में , यह वेद पुराण सभी कहते ।
गुरु की महिमा के सन्मुख , ईश्वर भी स्वयं झुके रहते ।
ज्ञान मिले किस विधि से प्रभु , वह युक्ति जानने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम , मैं शरण आपकी आया हूँ ।
गुरु की चरण धूल माथे पर जो भक्त सजाते हैं ।
दुनियाँ के सारे कष्टों से गुरु उनको स्वयं बचाते हैं ।
चरणों में हमको भी ले लो प्रभु आज्ञा लेने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम मैं शरण आपकी आया हूँ ।
गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु , गुरु ही देव महेश्वर है ।
मुक्ति मार्ग भी गुरु ही हैं , ज्ञान मार्ग भी गुरुवर हैं ।
शत-शत नमन मेरा देवेश्वर , मैं चरण पूजने आया हूँ ।
स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम मैं शरण आपकी आया हूँ ।

मैं तर जाऊं भव सागर से वह युक्ति जानने आया हूँ ।।

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