ईद का चाँद
दिखाई दिए वो हमें इस तरह ,
ईद का चाँद वो बन गये हैं |
डालकर जादू दिल पर हमारे
काम अपना तो वो कर गये हैं |
मिले थे फिजाओं में रंगत भी
खुशनुमा थी ,
बहार थी सुहानी वो ख़ुद से
गुमशुदा थी |
थे वो उड़े-उड़े शर्म आँखों
में लिए ,
शोख़ मदहोशियाँ थीं गेसू भी
थे खुले हुए |
लेकर के जान मेरी जाने कहाँ
गये हैं ,
दिखाई दिए वो हमें इस तरह ,
ईद का चाँद वो बन गये हैं |
जब से मिला हूँ उससे बस याद
उसको करता हूँ ,
छुप-छुप के देखता हूँ
इंतजार करता हूँ |
आँखों की झील में मैं डूबता
सा जाता हूँ ,
मुस्कान पर मैं उसकी सब
वारता मैं जाता हूँ |
शरारतों में उनकी दिल हम
निसार गये हैं ,
दिखाई दिए वो हमें इस तरह ,
ईद का चाँद वो बन गये हैं |
दीदार को मैं उसके बेताब
रहता हूँ ,
उसकी ख़ुशी में अपनी खुशियाँ
मैं ढूंढ़ता हूँ |
वो ख़ुश रहे हमेशा फ़रियाद है
ख़ुदा से ,
मैं जिसको चाहता हूँ मैं
जिसको पूजता हूँ |
हमारा क्या है हम तो फ़ना
इश्क़ में हो गए हैं |
दिखाई दिए वो हमें इस तरह ,
ईद का चाँद वो बन गये हैं |
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