Sunday, January 6, 2013

ईद का चाँद


                ईद का चाँद 

दिखाई दिए वो हमें इस तरह , ईद का चाँद वो बन गये हैं |
डालकर जादू दिल पर हमारे काम अपना तो वो कर गये हैं |
मिले थे फिजाओं में रंगत भी खुशनुमा थी ,
बहार थी सुहानी वो ख़ुद से गुमशुदा थी |
थे वो उड़े-उड़े शर्म आँखों में लिए ,
शोख़ मदहोशियाँ थीं गेसू भी थे खुले हुए |
लेकर के जान मेरी जाने कहाँ गये हैं ,
दिखाई दिए वो हमें इस तरह , ईद का चाँद वो बन गये हैं |
जब से मिला हूँ उससे बस याद उसको करता हूँ ,
छुप-छुप के देखता हूँ इंतजार करता हूँ |
आँखों की झील में मैं डूबता सा जाता हूँ ,
मुस्कान पर मैं उसकी सब वारता मैं जाता हूँ |
शरारतों में उनकी दिल हम निसार गये हैं ,
दिखाई दिए वो हमें इस तरह , ईद का चाँद वो बन गये हैं |
दीदार को मैं उसके बेताब रहता हूँ ,
उसकी ख़ुशी में अपनी खुशियाँ मैं ढूंढ़ता हूँ |
वो ख़ुश रहे हमेशा फ़रियाद है ख़ुदा से ,
मैं जिसको चाहता हूँ मैं जिसको पूजता हूँ |
हमारा क्या है हम तो फ़ना इश्क़ में हो गए हैं |
दिखाई दिए वो हमें इस तरह , ईद का चाँद वो बन गये हैं |

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