Wednesday, November 21, 2012


    
 नशा 

सड़क किनारे पड़ी थी एक लाश 
उसके पास कुछ लोग 
बैठे थे बदहवाश |
उनमे चार छोटे बच्चे 
और उनकी माँ थी , 
बूढ़े माँ – बाप थे 
कुँवारी बहन थी |
सभी का रो – रो 
कर बुराहाल था , 
खाल से लिपटे ढांचे 
बता रहे थे ,
वो..... परिवार 
कितना बेहाल था |
मैंने पूछा एक आदमी से 
भाई ये कैसे मर गया ,
क्या किसी वाहन से 
दुर्घटना हो गयी |
लेकिन इसके शरीर पर 
चोट तो है नहीं ,
आखिर इसकी जान 
कैसे चली गयी |
उसने कहा ये पीता था शराब ,
और स्मैक का भी आदी था |
घरवालों को मारना पीटना 
इसकी दिनचर्या थी ,
गाँजे की चिलम का 
पक्का साथी था |
ज़मीन जायदाद सब 
कौडियों के भाव बेच डाली ,
सारे परिवार को बर्बाद कर गया |
बेचारे घर वाले कल भी रोते थे ,
अब भी रोयेंगे वो नशेड़ी 
उसे मरना था मर गया ||
             २६/०६/२०१२ (राघवेन्द्र कुमार ‘राघव’)

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