Thursday, October 11, 2012

कब पिलाओगे.....


                                                                        कब पिलाओगे
                                                                                                                        ( राघवेन्द्र कुमार ''राघव'' )

                                         '' सैयाँ भए कोतवाल अब डर कहे का'' 
                 ऐसी कहावते अब पुरानी हो गयी हैं इसी को ध्यान में रखकर शीर्षस्थ लोग नई कहावते गढ़ने लगे हैं | '' सैयाँ जब सरकार मतलब पूरा भ्रष्टाचार '' कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की धर्म पत्नी ने इसे चरितार्थ किया है | करें भी क्यों न जब बहनोई का कुछ नही गया तो भाभी जी भी सलामत ही रहेंगी | पागल थे कलमाड़ी और राजा खुद माल उड़ा बैठे , अपनी पत्निओं , बच्चों , रिश्तेदारों और प्राइवेट लोगों से काम करवाना था | खुर्शीद साहब से  सीखे नहीं , अरे अपने छोटे बड़े सभी मंत्रिओं से सलाह मशविरा करके ही माल लूटना चाहिए | ऐसे में फसने की गुंजाइश कम रहती है | अब खुर्शीद साहब तो कानून मंत्री , फिर उनसे ज्यादा कानून कौन जानेगा | पहले बड़ी-बड़ी डकैतियों में साथ दिया फिर बचा खुचा खुद भी चाटने लगे , पर हजम करने की कला वो गुरुओं से सीख नहीं पाए  | ऊपर से वो नया हवालदार , अरे वही आर.टी.आई. वाला  , सही समझा केजरीवाल , उसकी नजर से कुछ बचता ही नहीं | अब वो तो हवलदार से सीधे डी.आई.जी. बनना चाह रहे हैं तो सख्ती तो दिखाएंगे ही , भाई या तो वो जो चाहते हैं दे दो , नहीं तो भूखे रहो | सलमान तो खान बन रहे हैं , फिल्मों में जो होता है ज़रूरी है कि वह असल में भी हो जाए | खैर छोड़ते है ये तो सरकारी राज-काज हैं चलते ही रहेंगे | हमको क्या हम तो दाना चुंगने के आदी हैं , देखते है अबकी किस दाने पर झपटते हैं | सातवें वेतन आयोग पर या कर्ज माफ़ी के जूते पर |
                अरे वो करोडो खाएं और हमको हजारों में समझाएं , अब ऐसा नहीं होगा अन्ना जी हमको जगा गए  हैं | वो बात अलग है कि वो भी मौके पर धोखा देने वाले ही निकले लेकिन जितना बताया उतना भी बहुत ही है | अब यहाँ ही देखो उ.प्र. के फर्रुखाबाद से विकलांग दिल्ली तक आ गए , सिर्फ इसलिए क्योंकि उनके नकली हाथ-पैरों पर लुईस खुर्शीद ने हाथ साफ़ कर दिया | अब किया मैडम खुर्शीद ने और घेरा जा रहा है बड़ी अम्मा को | हो भी क्यों न जब तक बड़ी अम्मा का हुक्म न मिल जाए मंत्री-संतरी छोटी मोती शंकाए भी साधे रहते है | अब ये रुतबे की ही बात है |अब कानून मंत्री का इस्तीफा माँगा जा रहा है , क्यों भाई ? वो क्यों दे इस्तीफा ? अब जीजा जी से दीदी वापस ली गयीं भला | फिर वो तो कानून के मंत्री हैं जीजा जी को  बचाने में दिन रात एक किये हैं | अब उन पर बिजली गिर रही है सभी किनारा कर  लें , नहीं ऐसा नहीं होगा | घर घेरने वाले कब तक बैठे रहेंगे फिर घर एक ही थोड़े न है | मंत्री बनने का यही सबसे बड़ा फायदा कुछ हो न हो घर चाहें जितने बनवा लो , सारी जमीन अपने बाप की ही है | गरीबों से तभी तो छीनी जाती है , गरीबों को ये समझ ही नहीं आता| वो तो कर्ज माफ़ी से ही खुश है |
             करो भाई जो भी मन में हो तुम्हारी सरकार है '' घर की परोसने वाली अँधेरी रात '' जैसे मन हो खाओ | हम सब तो ठर्रा पीकर मस्त हैं | वही ठर्रा जो चुनाव के वक्त तुम लोगों ने पिलाया था | बड़ी मादकता होती है तुम्हारी शराब में , पांच साल इन्तेजार करते हैं तुम्हारा | कब आओगे..... और  .....पिलाओगे ! 

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